कपूरथला 6 july 2022 जनसंघ के संस्थापक व अखंड भारत के प्रेणता डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सत्ता का त्याग कर देश की एकता व अखंडता के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया था। उनका पूरा जीवन देश को समर्पित रहा।हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है।उक्त बातें बुधवार को डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी कि जयंती के मौके पर उनको याद करते हुए पूर्व चेयरमेन व भाजपा के जिला उपप्रधान रणजीत सिंह खोजेवाल ने कही।खोजेवाल ने कहा कि डॉ.मुखर्जी ने भारत पुर्ननिर्माण के उदेश्य से जनसंघ की स्थापना की थी।जो आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के रूप में है।हम ये महान नेता को नमन करते हैं।उन्होंने कहा कि आज यदि हम जम्मू-कश्मीर में बिना परमिट के जा सकते हैं और पश्चिम बंगाल भारत का अभिन्न अंग है तो उसके पीछे डॉ.मुखर्जी जी का बलिदान है।खोजेवाल ने कहा कि डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक महान व्यक्ति थे।उनका जन्म कोलकाता शहर में हुआ था व देश की आजादी में उनका विशेष योगदान था।उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर एक निशान एक विधान का नारा देते हुए उस समय कश्मीर की परमिट नीति का पुरजोर विरोध किया था।खोजेवाल ने कहा कि डॉ.मुखर्जी को एक साजिश के तहत कुछ देशद्रोहियों ने मरवा दिया था।उन्होंने डॉ.मुखर्जी महान नेता थे।मात्र 33 वर्ष की उम्र में कुलपति बनने से साबित होता है वह कितने विद्धान व ऊर्जावान थे।उनके संघर्ष से ही देश में जागृति आई कि देश में दो विधान,दो प्रधान,दो निशान व धारा 370 कितनी घातक है।उन्होंने कहा कि डॉ.मुखर्जी जनसंघ के संस्थापक नेता थे।उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।खोजेवाल ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के प्रति डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी का निष्ठावान कार्य हमें हमेशा प्रेरित करेगा।उन्होंने कहा कि मुखर्जी ने न केवल केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ दिया,बल्कि देश की अखंडता को बनाए रखने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए अंतिम समय तक अपने प्रयास जारी रखे,कि देश की अखंडता आंदोलन राष्ट्रव्यापी और फलदायी हो।ऐसे व्यक्ति के अनुयायी के रूप में काम करना हमारा सौभाग्य है। डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों और आदर्शों को हमेशा भारतीय जनता पार्टी का मार्गदर्शक बिंदु बताते हुए खोजेवाल ने सभी पार्टी पदाधिकारियों से आग्रह किया कि वे महापुरुष के दिखाये मार्ग पर चलते हुए काम करें और समाज की नई पीढ़ी के बीच उनकी देशभक्ति की अनूठी भावना का प्रसार करें।
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Author: Gurbhej Singh Anandpuri
ਮੁੱਖ ਸੰਪਾਦਕ