कपूरथला — पूर्व चेयरमैन व भाजपा के ज़िला उपप्रधान रणजीत सिंह खोजेवाल ने कहा कि पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होने से न केवल आदिवासी,बल्कि देश में सभी को गर्व की अनुभूति हुई है।उन्होंने कहा कि समाज के वंचित वर्ग,आदिवासियों,महिलाओं और पूर्वी भारत में अपार खुशी है कि पहली बार लोकतंत्र का सही अर्थ सामने आया है।ऐसी पृष्ठभूमि का नेता देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचा है।यह लोकतंत्र के लिए एक उपलब्धि है।खोजेवाल ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू ने भाजपा में रहते हुए कई प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं है,उन्होंने एसटी मोर्चा पर राज्य अध्यक्ष और मयूरभान के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है।साल 2007 में मुर्मू को ओडिशा विधानसभा द्वारा वर्ष का सर्वश्रेष्ठ विधायक होने के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।मई 2015 में,भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें झारखंड के राज्यपाल के रूप में चुना एवं वे झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी।वह ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता भी हैं,जिन्हें ओडिशा राज्य में राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था।उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित किया है और वह अपनी बेटी इतिश्री मुर्मू के सहारे अपना जीवन जीती है।खोजेवाल ने कहा वह काफी बड़े-बड़े पद पर रह चुकी है,लेकिन उनके अंदर किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं है।इस अवसर पर भाजपा प्रदेश कार्यकारणी के सदस्य शाम सुंदर अग्रवाल, जिला उपप्रधान धर्मपाल महाजन,पूर्व पार्षद राजिंदर सिंह धंजल,सोशल मिडिया व आईटी सेल के प्रदेश उपप्रधान विक्की गुजराल,मंडल उपप्रधान धर्मबीर बॉबी,युवा मोचा के जिला महासचिव विवेक सिंह सनी बैंस,कपिल धीर आदि उपस्थित थे।
Author: Gurbhej Singh Anandpuri
ਮੁੱਖ ਸੰਪਾਦਕ